चुनावी चिंता : विधानसभा में करीब सवा साल और लोकसभा में 7 माह का वक्त है। विपक्ष इनेलो मेनिफेस्टो के 5 वादें जनता के सामने ले आया है।
‘पढ़े-लिखे हाथ आज काम को तरसते हैं, खेत में खड़े किसान आज दाम को तरसते हैं, तरसती हैं आज बहने सुरक्षा के लिए, बुजुर्ग आज हमारे सम्मान को तरसते हैं’- हिसार सांसद दुष्यंत चौटाला का ये संबोधन अपने युवाओं से था। निशाने पर थी प्रदेश में भाजपा और केंद्र सरकार। बड़ी ही चतुराई से इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) के युवा नेता दुष्यंत ने देश की सभी समस्याओं को एक लाइन में पिरो कर उसकी माला विरोधियों के गले में पहना दी। उम्मीद की जा रही थी कि अपने लंबे संबोधन में दुष्यंत मॉब लिंचिंग, गुड़गांव में मुस्लिम युवक की जबरन दाढ़ी काटे जाने और सार्वजनिक जगहों पर नमाज अदा किए जाने जैसे मुद्दों पर भी बोलेंगे। पर सब कुछ सिफर रहा।
लौटते हैं कैथल पर। पंजाब से सटे हरियाणा के इस जिले से विपक्षी पार्टी इनेलो 5 जुलाई, 2018 को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अपने मेनिफेस्टो से 5 वादें जानता के सामने ले आई है, तो हो-हल्ला भी मचना है। आखिर 90 सीटों में से 19 विधायकों वाली पार्टी इतनी जल्दी कथित मेनिफेस्टो कैसे जारी सकती है? क्या विपक्ष को एेसा आभास हो चुका है कि प्रदेश में 2019 के अक्टूबर की बजाय विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ होंगे? वरना इनेलो अपनी स्टूडेंट इकाई (इनसो) के 16वें फाउंडेशन-डे प्रोग्राम के मंच से ऐसी घोषणा क्यों करेगी? वो भी तब जब उसके कई बड़े नेताओं की नाराजगी की खबरें मीडिया में आ चुकी हो। कैथल के अनाज मंडी में लगे बड़े से पंडाल में युवाओं की जबर्दस्त भीड़ देखने को मिली। युवाओं का एेसा क्रेज उन सभी बातों को झूठला रहा था कि हरियाणा के युवा राजनीतिक गतिविधियों में रुचि नहीं रखते। वे तो सिर्फ कुश्ती, कबड्डी और निशानेबाजी जैसे खेलों की तरफ भागते हैं या सेना और पुलिस में भर्ती होते हैं? पंडाल के बीचों-बीच युवाओं की भीड़ और उसके दोनों तरफ लगे लोहे के पाइप पर चढ़े युवाओं के हाथों में हरे झंडे और उड़ते ड्रोन कैमरे दिख रहे थे।

मंच पर आए हरियाणा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला ने सीबीआई और ईडी को भाजपा की एजेंसी बताई। इशारा था उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला और बड़े भाई अजय चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर को हमने जनता से 5 वादें किए हैं। इसे वर्ष 1987 में चौधरी देवीलाल के प्रदेश की जनता से किए 3 वादें से जोड़कर अपनी बात रखी। उन्होंने अपने दादा देवीलाल की बातों को दोहराते हुए कहा कि अगर आपने मुझे प्रदेश की सत्ता सौंपी, अगर आपने मुझे प्रदेश की बागडोर सौंपी तो बुजुर्गों को मान और सम्मान दूंगा, किसानों के दस-दस हजार रुपए तक के कर्ज माफ कर दूंगा और गरीब की बेटी की शादी में कोई रूकावट न आए इसके लिए 5100 सौ रुपए कन्यादान के रूप में दूंगा। उस वक्त जब देवीलाल सत्ता में आए तो उन्होंने सबसे पहले यही 3 वायदे पूरे किए। अब इसी गुणा-भाग के जरिए अभय चौटाला सत्ता में वापसी चाहते है। वक्त के साथ इनेलो नेता अभय ने वादें में बिजली के दामों से राहत देने और सतलुज-यमुना लिंक नहर से ज्यादा पानी की मांग और बुजुर्गों के लिए 2500 पेंशन और कन्यादान के लिए 5 लाख की राशि में भी बढ़ोतरी कर दी है। उन्होंने
राजीव लोंगोवाल समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इंदिरा सरकार ने हरियाणा के हितों की अनदेखी कर, उसे कमजोर करने की साजिश रची थी। हरियाणा की बलि दी थी। उस समझौते में जो चंडीगढ़ हमारा था। उन्होंंने
शाह कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जब फाजिल्का समेत उन 107 हिंदी भाषी गांवों पर फैसला हो, जब कभी भी चंडीगढ़ पर फैसला लिया जाए तो उस रिपोर्ट में लिखा था कि चंडीगढ़ पर अधिकार हरियाणा प्रदेश का रहेगा। यानी इनेलो के पास अच्छा-खासा मुद्दा है। देखना होगा कि चंडीगढ़ के नाम पर इनेलो वोटर्स की कितनी गोलबंदी कर पाती है?
हरियाणा का यूपी-बिहार कनेक्शन
कैथल के इनेलो मंच से युवाओं की बात हो रही थी। तो जाहिर है कि जेपी मूवमेंट की भी बात होगी। चीफ गेस्ट के तौर पर बिहार के पूर्व सीएम और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यावद और सपा नेता मुलायम सिंह यादव के भतीजे और बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यावद मौजूद थे। दोनों नेताओं ने संघर्ष की बात कही। तेजस्वी तो यहां तक कह गए कि ये खट्टर सरकार नहीं कट्टर सरकार है। इन्हें दंगे फसाद से समय नहीं मिलता। बयानबाजी बता रही थी कि हरियाणा में थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट चल रही है। ये कोई पहली बार नहीं है जब यूपी और बिहार का हरियाणा के नेताओं के साथ संघर्ष की बात हो रही हो। हरियाणा प्रदेश के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले चौधरी देवीलाल जब वीपी सिंह की सरकार में उप प्रधानमंत्री बने तो उनके साथ लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव ही थे। परिणाम ये रहा कि चौधरी देवीलाल ने दोनों नेताओं को अपने-अपने प्रदेश में जातिगत पिछड़े वर्ग के नेता की पहचान दिलाई। चाहे वो मंडल कमीशन को लागू करवाने में अप्रत्यक्ष भूमिका रही हो या यूपी के 1989 विधानसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह को समर्थन न देकर मुलायम सिंह यादव को दिया। तब मुलायम यूपी के पहली बार सीएम बने थे।
हरियाणा में भाजपा को कोई गठबंधन नहीं
सांसद दुष्यंत जब ओम प्रकाश चौटाला को जेल से उठाकर चंडीगढ़ की सीट पर बिठाने के नारे लगा रहे थे उसी दिन सीएम मनोहर लाल खट्टर उनके संसदीय क्षेत्र में किसान धन्यवाद रैली कर रहे थे। सीएम खट्टर यहां ट्रैक्टर चलाकर पहुंचे। बरवाला विधानसभा क्षेत्र में स्टेडियम और सामुदायिक केंद्र के लिए उन्होंने 110 करोड़ की घोषणा की। उन्होंने प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस और इनेलो को जिम्मेदार ठहराया। सीएम खट्टर प्रदेशभर में पौने चार साल की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, रोड शो कर रहे और राहगीरी का हिस्सा बन रहे हैं। पानीपत से शुरू हुआ, देशभर में पॉपुलर हुआ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति सुधारी है। इसे हरियाणा सरकार अपनी उपलब्धि मानती है। लेकिन
जाट आरक्षण आंदोलन, किसान आंदोलन, राम रहीम प्रकरण में जान-माल के नुकसान से लॉ एंड ऑर्डर के दामन पर सरकार की नाकामी का दाग माना जा रहा है। अगर इन मुद्दों से सरकार पार पा भी लेती है तो भी क्या उसे अपने मंत्रियों के उन बड़बोले पन से कामयाब मिल पाएगी। जिसने न सिर्फ मीडिया में सूर्खियां बटोरी बल्कि सरकार की किरकिरी भी करवाई। राज्य सरकार की कैबिनेट में कृषि मंत्री रहे ओम प्रकाश धनकड़ ने एक कार्यक्रम में कहा था कि गांव को साफ करो तो बीवी मिलेगी। गुजरात चुनाव-2018 के दौरान स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विवादित ट्वीट किया था- 100 कुत्ते मिलकर भी एक शेर का शिकार नहीं कर सकते। जबकि शिक्षा मंत्री रहते हुए रामविलास शर्मा ने रामरहीम के मामले पर बयान दिया कि उनके समर्थकों की श्रद्धा पर धारा 144 नहीं लगाई जा सकती। प्रदेश में भाजपा के हालात जो भी हो, पर सीएम खट्टर कह चुके हैं कि वे चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेंगे।
अब देखना ये होगा कि भाजपा और इनेलो के बाद प्रदेश में कांग्रेस का क्या स्टैंड रहेगा। प्रदेश की वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के 4 मामलों की जांच शुरू करवा दी है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ये भी आरोप है कि उनके कार्यकाल में रॉबर्ट वाड्रा को गुड़गांव में सस्ती जमीन के सीएलयू, राजीव गांधी ट्रस्ट को गुड़गांव में और नेशनल हेराल्ड के ट्रस्ट एजीएल को पंचकूला में सस्ती जमीन देकर सरकार को नुकसान पहुंचाने के मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पाई थी।