Saturday, 1 November 2025

…और कितनी मासूम लोगों की जानें लेगी भगदड़?

आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में एकादशी पर जुटी भीड़ के बीच भगदड़ मचने से कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई। शासन-प्रशासन रेस्क्यू और घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने में जुटा है। घटना पर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दुख जताया है। 2025 के जाते-जाते आखिरकार भगदड़ की एक और घटना में कई परिवारों ने अपनों को खो दिया। मृत और घायल हुए लोग भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कर अपने और अपने परिजन के जीवन में खुशहाली, शांति और लंबी उम्र की कामनाएं लेकर आए थे।
भगदड़ की इस घटना ने एकबार फिर हर किसी को झकझोर दिया है। फिलहाल जांच के बाद ही इसकी जवाबदेही तय होगी कि मंदिर की तरफ से चूक थी या जिला प्रशासन की लापरवाही थी लेकिन इस घटना ने सोचने पर विवश कर दिया है कि आखिर कब तक मंदिर या उसके परिसरों में होने वाले आयोजन, स्कूल-कॉलेज के फेस्ट, स्पोर्ट्स, म्यूज़िक व पॉलिटिकल इवेंट्स सामान्य लोगोंं के लिए अनसेफ रहेंगे? क्या हमारे अफसर, मंत्री-नेता या सरकारी तंत्र सामान्य लोगों को ऐसे प्रोग्राम में शामिल होने और घर सुरक्षित लौटने की गारंटी नहीं दे सकता? 

  2025 में मची भगदड़ और मौतें 

  • 8 जनवरी- तिरुपति मंदिर में 6 लोगों की मौत कई घायल
  • 29 जनवरी- प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से दर्जनों लोगों की मौते हुईं
  • 16 फरवरी- ऩई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से 15 लोगों की मौतें
  • 2 मई- गोवा के शिरगांव में भगदड़, 7 की मौत, 50 घायल
  • 4जून-  बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में 11 मौतें
  • 30 जून- ओडिशा के पुरी में भगदड़ से 3 लोगों की मौत
  • 27 जुलाई- हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़, 8 की मौत
  • 28 सितंबर- ऐक्टरर विजय की रैली में भगदड़ से 39 मौतें
इन आंकड़ों के अलावा साल 2024 में पुष्पा 2 की स्क्रीनिंग और यूपी के हाथरस सत्संग में भगदड़ की घटनाएं डराती और दहशत पैदा करती हैं। तमाम घटनाओं में सिर्फ सुरक्षा के प्रोटोकॉल लागू नहीं करने, अफवाह और लापरवाही बरती जाने जैसे कारणों से भगदड़ मची है। फिर चाहे वो प्रशासन के स्तर पर हो या आयोजकों के स्तर पर। समझ में नहीं आता कि आखिरकार हमारा गवर्नेंस सिस्टम कब चेतेगा? हम कब कह सकेंगे हम इस धार्मिक आयोजन या इवेंट्स के भीड़ का हिस्सा हो कर सेफ रहेंगे? वो भी तब जब हम तकनीकी और डिजीटली सक्षम हैँ। हमारे पास भीड़ पर निगरानी और संपर्क के संसाधन हैं।  अनगिनत सुरक्षा बल है। अफसरों के पास तो आईआईएम सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों की मदद से भीड़ प्रबंधन पर तैयार की गई स्टडी रिपोर्ट तक पहुंच है। NDMA जैसी अथॉरिटी है। उसके बावजूद भीड़ के बीच भगदड़ और मौत ही नतीज़ा है तो समझ लीजिए सिस्टम की चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी है कि कितने ही ट्रांसफर हो जाए, निलंबन हो जाए या जांच बिठा दी जाए उन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।

सरकार और मंदिर प्रबंधन-प्रशासन को विचार करना चाहिए कि सिर्फ सार्वजनिक जगहों या मंदिरों की दीवारों की ऊंचाई या उसकी भव्यता व सुंदरता बढ़ाकर ही लोगों के लिए किसी स्थल को आकर्षण का केंद्र नहीं बनाया जा सकता है बल्कि उन्हें उस जगह पर जुटने वाली भीड़ को सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध करवाकर ही उनका भरोसा जीता जा सकता है। क्योंकि ऐसे जगहों पर जुटने वाली इस भीड़ का मोटिव धार्मिक, आर्थिक, पोलिटिकल, एंटरटेनमेंट और सोशल होता है। ये सब लोगों को सुरक्षा के बीच मिलता है तो उसका भरोसा सिस्टम पर कायम रहता है। ऐसे में जरूरी है कि हमारा सिस्टम भीड़ के व्यवहार और मनोविज्ञान की स्टडी कर उसके मुताबिक भीड़ प्रबंधन के सेफ्टी पैरामीटर को अपनाएं। 

 क्राउड डिज़ास्टर के रूप में भारतीय इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी घटना हरियाणा के डबवाली में स्कूल के आयोजित एक कार्यक्रम में सैकड़़ों लोग शामिल हुए, जहां आग लगने से पंडाल में भगदड़ के बीच 446 लोगों ने अपनी जान गवां दी।

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