बारूदी बयान दर्ज करवाती सरहद से राजा का पुराना महल, मजार और दिखता गांव

सरहद (रेडक्लिफ) से देश को देखने का अनुभव अपने आप में अभूतपूर्व है। दूर तक नजर दौड़ाने पर सब सुनसान। सिवाय रायफल थामे बीएसएफ के जवानों को छोड़कर। बनाक्यलर के बगैर सरहद पार बना हल्के पीले रंग का टावर दिखाई तो दे रहा था, नहीं दिखाई दे रहा था तो उस पर कोई पाकिस्तानी रेंजर। मौसम सर्द का था। शाम साढ़े चार का वक्त। हमकदम होते बीएसएफ जावान बाड़े की तरफ इशारे से बॉर्डर का वो छोटा सा पिरामिड दिखाने लगा, जहां से पाकिस्तान की जमीन शुरू हो रही थी। देश के जिस पश्चिमी छोर पर हम थे। वहां सूरज देरी से डूबता था। इसलिए वो पिरामिड चमक रहा था। जिसे कुछ रोज पहले पाकिस्तानी रेंजर्स चूना पोत कर गए थे। बॉर्डर की गतिविधियां जानने का सिलसिला शुरू हुआ तो मालूम चला कश्मीर की सरहद पर आतंकी हमले के तनाव का असर पाकिस्तान से लगती बीकानेर की
151 किलोमीरटर की सीमा पर भी दिखता है। घुसपैठ, हथियारों और मादक पदार्थों की तश्करी की चुनौती के अलावा सुरक्षा के लिहाज से हमारे जावानों को अक्सर वो पशु भी चौकन्ना कर जाते हैं जो चरते हुए देश की सीमा में घुस आते हैं।


बीएसएफ जावान ने बताया कि सर्दी में गोरू (पशु) कम दिखते हैं लेकिन बरसाती-गर्मी मौसम में महिनों तक यहां रहते हैं। उनकी संख्या का अंदाजा उनके गोबर से पता लगाया जा सकता है। जिसकी मात्रा करीब दो से तीन ट्रक तक होगी। कई बार इधर आने की कोशिश में पशु बाड़े में उलझ जाते हैं और फंसकर मर जाते हैं। झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स के मीटिंग कर उन्हें सौंप दिया जाता है। कभी-कभी तो खुद ही गड्ढे में दबाना पड़ता है। बीएसएफ के तीन स्टार वाले ऑफिसर ने सरहद से उस पार इशारे से राजा का एक पुराना महल दिखाया, मजार दिखाया और वो गांव भी। उस वक्त उनके बारे में जान-देख लेने की चाह जितनी तेजी से मन में जगी, उतनी ही तेजी के साथ वो इच्छाएं शांत हो गई। शायद इसलिए कि सीमाओं के अपने-अपने सवालों का मेरा जवाब उन्हें सतुष्ट नहीं कर पाता। लौटते वक्त जहन में पार्टीशन पर लिखी किताबों और फिल्मों की कहानियां आने लगी। जो उस समय की हिंसा, वह सालों तक मुल्कों के साथ ही रहेगी, शायद उसे कोई भूलेगा नहीं।
वो चीखा और पाकिस्तान बन गया
बॉर्डर विजिट के दौरान के कमलेश्वर की नॉवेल
कितने पाकिस्तान का वो किस्सा भी याद आया ‘वो चीखा और पाकिस्तान बन गया’। अंग्रेजों ने हमारी जमीन बहादुरशाह जफर से छीनी थी। बाबर ने जब अयोध्या पर राम जन्म भूमि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई, तभी से पाकिस्तान बनना शुरू हुआ। जुलाई, 1947 में माउंटबेटन ने बैरिस्टर सिरिल रेडक्लिफ को देश को बांटने का काम सौंपा था। जो न समाजशास्त्री था और न भूगोलविद। पांच हजार साल पुरानी सभ्यता को चंद दिनों में तोड़
3323 किलोमीटर की सरहद बना दी। जिसका दंश देश आज भी झेल रहे हैं। पार्टीशन के वक्त रावलपिंडी छावनी में कर्नल ईदरिश की बाते पसंद आएंगी। आज जब दोनों देश यूएनओ के नियम बॉर्डर (पिरामिड प्वाइंट) से 100 मीटर के भीतर तक डिफेंस का काम नहीं किए जाने को अनुसरण कर रहे हैं तो
काश! एेसा हो पाता कि बॉर्डर पर एंटी वार-प्रे शुरू कर शांति का महौल कायम करते।
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