The Test: A New Era for Australia’s Team
विश्व
में लॉकडाउन की वजह से क्रिकेट नहीं खेला जा रहा.
तब
स्टेडियम से बाहर बॉल की शाइनिंग
पर बातें हो रही है.
कोविड-19 के चलते आईसीसी बॉल
पर पसीने और लार के इस्तेमाल
पर रोक लगाने का विचार कर रही
है.
विकल्प
तलाश रही है.
शेन
वॉर्न तो यहां तक कह चुके कि-
‘बॉल
के एक साइड का वजन बढ़ा दिया
जाए ताकि सपाट पिचों पर स्विंग
में मदद मिल सके.’
इसी
स्विंग के लिए साल 2018
में
कैपटाउन बॉल टेंपरिंग हुआ.
ये
कबूलनामा ऑस्ट्रेलियाई
बल्लेबाज स्टीव स्मिथ की प्रैस
कॉन्फेंस में भी हैं.
अब
पुरानी बॉल की चमक बनाए रखने
के लिए स्टडी और रिसर्च हो रहे
हैं.
द
टेस्टः ए न्यू ऐरा ऑफ ऑस्ट्रेलियाज टीम नाम से प्राइम एमेजॉन पर
डॉक्यूमेंट्री आई है.
एडरियन
ब्राउन ने डायरेक्ट किया है.
8 एपिसोड
की डॉक्यूमेंट्री में ऑस्ट्रेलियाई
टीम की शून्य से शुरुआत की
कहानी है.
ऑस्ट्रेलियाई
क्रिकेट का इतिहास गौरवशाली
रहा है.
पांच
वर्ल्ड कप जीते.
बहुत-सी
टीमों के पास आज भी इसका सुख
नहीं है.
बॉल
से छेड़छाड़ विवाद में स्टीव
स्मिथ व डेविड वॉर्नर पर एक-एक
साल और कैमरून बैनक्रॉफ्ट पर
9 महीने
का बैन लगा.
कोच
डेरैन लेहमन ने इस्तीफा दे
दिया.
सीमित
प्रतिबंध और इस्तीफे ने क्रिकेट
प्रेमियों के आहत मन को शांत
कर दिया.
पर
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के सामने
संकट पैदा हो चुका था.
पीएम
टर्नबुल को मीडिया में आकर
कप्तान को हटाने की बात कहनी
पड़ी.
चर्चाएं
चली कि उन खिलाड़ियों ने बॉल
को नुकसान न पहुंचाकर ब्रांड
को क्षति पहुंचाई है.
जस्टिन
लैंगर नए कोच बने.
आगामी
दौरे के लिए मीडिया ने लैंगर
से सवाल किया-
आप
टीम में क्या बदलाव लाना
चाहेंगे?
जवाब
में कहा-
'वापस
लोगों का सम्मान जीतना.'
प्रतिक्रिया
भले ही परिस्थितियों को भाप
कर दी गई हो.
वो
भी तब जब भारत,
इंग्लैंड
और न्यूजीलैंड जैसी टीमें
अपने श्रेष्ट दौर में हो.
लेकिन
लैंगर तो अपनी टीम को लेकर
मिशन पर निकल चुके थे.
थीम
थी-
ऑस्ट्रेलिया
फिर से हम पर गर्व करें.
ऐसा
नहीं है कि लैंगर कि जो भूमिका
है उस पर फिल्में नहीं आई.
शाहरूख
खान की कोच अभिनय वाली चक दे
इंडिया और अक्षय कुमार की
गोल्ड जैसी फिल्में बनी.
वो
भी जोश और जुनून की संतुलित
तस्वीर के साथ.
लगान
में तो अनुभवहीन-साधनहीन
खिलाड़ियों ने पेशेवर टीम पर
जीत का स्वाद चखा.
सभी
में एक बात कॉमन थी.
नए
खिलाड़ियों को मैदान पर अपनी
ताकत का एहसास कराना.
डॉक्यूमेंट्री
के चौथे एपिसोड में शॉन मार्स
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के
चौथे वनडे में बल्लेबाजी करते
हुए जल्दी आउट हो जाते है.
चेंज
रूम में आते ही जमीन पर जोर से
बल्ले को पटकते हैं.
अमूमन
खिलाड़ियों की ऐसी हताशा और
गुस्सा स्क्रीन और स्टेडियम
की दर्शक दीर्घा से कम ही दिखती
है.
इससे
पहले टिम पैन की कप्तानी में
टीम का प्रदर्शन टेस्ट सीरीज
में वेस्ट इंडीज और पाकिस्तान
के खिलाफ उत्साहपूर्ण नहीं
था.
वर्ल्ड
कप-2019
की
तैयारी के लिए टीम के पास 12
माह
का वक्त होता है.
इस
दरम्यान टीम को भारत की मेजबानी
और फिर भारत में जाकर सीरीज
खेलना तय रहता.
यही
वो मौका होता है जहां से जीत
कर ऑस्ट्रेलियाई टीम वर्ल्ड
कप की दावेदारी पेश कर सके.
लेकिन
भुवनेश्वर कुमार की गेंद पर
लगातार आउट होने से एरोन फिंच
की फॉर्म पर सवाल खड़े होने
शुरू हो जाते हैं.
टीम
में बने रहने और कप्तानी छीने
जाने की उठती बातें पूरी टीम
को परेशान कर देती है.
डॉक्यूमेंट्री
में फिंच कहते हैं कि-
‘मैं
स्कोर बनाने के लिए इतना सोचता
रहा कि पिच पर शायद गेंद को
देखना ही भूल गया.’
क्रिकेट
गेम ऑफ चांस है.
जेंटलमैनों
का खेल है.
22 गज
की पिच पर 150
किलोमीटर
प्रति घंटे की रफ्तार से आती
कठोर गेंद किसी को भी असहज कर
सकती है.
बैन
की अवधि पूरी कर लेने के बाद
स्मिथ और वॉर्नर की टीम में
वापसी से बल्लेबाजी का अकाल
खत्म हो जाता है.
वर्ल्ड
के शुरुआती मैचों में वॉर्नर
और स्मिथ के प्रति स्टेडियम
से लेकर बस से उतरे वक्त जनता
का निर्मम व्यवहार नजर आता.
दोनों
को धोखेबाज और चिट्टर-चिट्टर
पुकारा जाता है.
डॉक्यूमेंट्री
में स्मिथ के बारे में जानना
अच्छा लगता है कि वो हर वक्त
क्रिकेट के बारे में सोच रहे
होते है.
चेंज
और ड्रेसिंग रूम के अलावा
वॉट्सऐप ग्रुप में भी खेल की
भावनाएं चली आती है.
चाहे
बस का सफर हो या म्यूजिक सुनना
हर पल उनकी कलाइयां बल्ले की
पॉजिशन में होती है.
यही
वजह है कि जब उनकी तुलना कोहली
से की जाती है तो स्मिथ सिर्फ
ज्यादा से ज्यादा रन बनाना
चाहते है.
बल्लेबाजी
का लुत्फ उठाना जानते हैं.
लेकिन
कोहली रन बनाने के साथ-साथ
टीम में आक्रामक प्रवृत्ति
भी लाते हैं.