शहर मुंबई. आबादी दो करोड़. दिन-रात एक सा रहने वाले इस शहर को हमेशा के लिए सुला देने की बात पुलिस, खुफिया एजेंसी और राजनीतिक नेताओं की नींद उड़ा देती है. विक्रम चंद्रा की नॉवेल ‘सेक्रेड गेम्स’ पर बनी नेमसेक नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरीज का निर्देशन विक्रमादित्या मोटवानी और अनुराग कश्यप ने किया है. सीरीज में आठ एपिसोड है. इस सीजन के ट्रेलर को देखने के बाद जो उम्मीदें बंधी थी वो रोचकता आखिर तक बनी रहती है. कहानी बिल्डिंग से फेंके गए अमेरिकन एस्किमो नस्ल के कुत्ते की सड़क पर गिरी लाश के बीच डरे बच्चों की चिखती आवाज से शुरू होती है. और बैकग्राउंड में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की आवाज में डायलॉग डिलीवरी होती है-‘भगवान को मानते हो, भगवान को ## फर्क नहीं पड़ता.’ पर उससे भी ज्यादा ये जानना जरूरी है कि 25 दिन बाद शहर की तबाही की बात सच है या महज अफवाह. ये जानने के लिए सरताज सिंह (सैफ अली खान) की एंट्री होती है. जो पुलिस ऑफीसर है और फर्जी एनकाउंटर में उसकी सुनवाई चल रही होती है. दस साल के करियर में सरताज को लेकर सीनियर्स के बीच राय है कि वो एक नॉन परफोर्मिंग ऑफीसर है. इस धारणा को गलत साबित करने के लिए हर वक्त बड़े केस में सफलता की तलाश में रहता है. सरताज के पास गैंगस्टर गणेश गायतोंडे (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की कॉल आती है कि- ‘25 दिन है, बचा ले अपने शहर को.’ यहां ये इंटरस्ट जगाता है कि मुंबई के सबसे बड़े गैंगस्टर ने शहर की तबाही की सूचना सरताज को ही क्यों दी. गायतोंडे ने महिला साथी की हत्या क्यों की? खुद के ही गन से सुसाइड क्यों की? सभी मर जाएंगे तो त्रिवेदी ही क्यों बच जाएगा? सरताज-गायतोंडे के बीच हुई बातचीत के इनपुट से रॉ एजेंट अंजली माथुर (राधिका आप्टे) शहर को बचा पाएगी?
यहां दो कहानियां पैरलल चलती है. वो भी टाइमलाइन के साथ. एक सरताज की, जो तलाकशुदा है और सीनिरयर ऑफीसर की नाराजगी से सस्पेंड होने के बावजूद 16 तारीख को तबाह होने वाले शहर को बचाने में जुटा है. दूसरी कहानी गायतोंडे की है. गायतोंडे की यहां बैकस्टोरी है. वो भी लंबी वाली. जाति से ब्राह्मण गायतोंडे को अपने बाप की कमजोरी से घिन्न है. लेकिन मां के प्रति प्रेम है. उस प्रेम के प्रति भी एक रोज उसे घृणा हो जाती है. जब वह अपनी मां को विवाह से इत्तर संबंध में पाता है तो वह उन दोनों की नींद में हत्या कर देता है. घटना के बाद वह भागता चला जाता है- खेत, खलिहान, बाप के भजनों और भगवान से. विचार करता है कि धर्म क्या है मां या बाप? मां-बाप से दूर हो जाने के बाद वह खुद को आजाद पाता है. और नए धर्म की तालाश में मुंबई आ जाता है. यहां शुक्ला सेठ ब्राह्मण होटल पर वेटर का काम करता है. धीरे-धीरे वो यहां धर्म के कारोबार को सीखता है. चिकन खाकर डेयरिंग करना जानता है. होटल की आड़ में दोस्त नत्थू के साथ गांजे का काम करता है. उसके बाद सलीम काका के साथ सोने की तस्करी के दौरान सलीम की पत्थर से पीट-पीट कर हत्या कर देता है. काले सोने के सफेद पैसों से गोपाल मठ में कांता बाई के साथ ताड़ी का काम शुरू करता है. धंधे को बढ़ाने के लिए आदमियों की जरूरत होती है. फिर एक गैंग तैयार कर लेता है. साथी परितोष के साथ मिलकर एयरलाइंस शुरू करता है. पर ये काम भी नहीं चलता है तो फिर गर्लफ्रेंड कुक्कू के कहने पर ‘अपना कोला’ लॉन्च करता है. लेकिन उसे यहां भी निराशा ही मिलती है.
उधर सरताज वो कड़ी है जिसके जरिए गायतोंडे की कहानी से दर्शक रूबरू होते हैं. गायतोंडे की मौत के बाद तहकीकात में सरताज एक-एक कर उन सब तक पहुंचता है जिनका उससे कनेक्शन रहा है. चाहे वो नायनिका हो या जोया मिर्जा. ज्यादा वक्त गायतोंडे के साथी कट्टर हिंदू बंटी और कुक्कू पर खर्च किया गया है. जबकि शुरू में मृत जोजो की कहानी पर सस्पेंस रखा हैं. ऑफीसर के तौर पर सरताज का खुद पर ऐसा भरोसा दिखाया गया है जैसे की वो एचबीओ चैनल पर आने वाले लूथर टीवी सीरीज के डिटेक्टिव जॉन लूथर हो. जो कहीं भी अनियंत्रित तरीके से चला आता है और सिचुएशन को हैंडल कर लेता है. लेकिन सरताज अपनी इनफॉर्मर नायनिका को बचाने, बंटी को पकड़ने और साथी कॉन्स्टेबल की जान बचाने में नाकाम रहता है. इसे ऐसे समझा जाए कि जिंदगी बदल डालने का जो मौका मिलता है उसके पीछे सरताज के दिवंगत पिता कांस्टेबल दिलबाग सिंह होते हैं. 15 साल तक जेल में रहते हुए गायतोंडे को जब यातनाएं दी जा रही थी तो उस वक्त दिलबाग सिंह ने जेल में उसकी मदद की होती है. वहीं रॉ एजेंट के किरदार में राधिका आप्टे का कोई एक्शन सीन नहीं है. फील्ड में उतरने के बाद भी वो डेस्क वर्क सा काम करते हुए लगती है. स्क्रीन पर ज्यादा वक्त तनाव के एक्शप्रेशन में ही दिखती है.
निर्देशक विक्रमादित्या और अनुराग ने कहानी को नए कलेवर में परोसी है. खासकर गैंगस्टर के रोल में नवाजुद्दीन काे. जो डांसर कुक्कू का दिवाना है. एक ट्रांसजेंडर के प्रति गैंगस्टार का लगाव अब तक की कहानियों में नया है. क्राइम की दुनियां में गैंगस्टर्स के लिए पैसों के सामने धर्म-जाति को डील करना मुश्किल नहीं होता. पर यहां प्रजातंत्र की कीमत 50 लाख देने वाले नेता बिपिन भोंसले गैंगस्टर गायतोंडे की सेकुलर सोच को देखकर तमतमा जाता है. ये देखकर लगता है कि अगर गैंगस्टर लोग सेकुलर बन जाएंगे तो नेताओं की राजनीतिक धंधे का क्या होगा? लेकिन गैंगवार में पत्नी सुभद्रा की मौत पर उसका ‘हिंदू’ जाग जाता है. दुबई तक पहुंच रखने वाले विरोधी गैंगस्टर सुलेमानी इसा की मौजूदगी दिलचस्प है. खूब सारे किरदारों के लिए जाने-जानी वाली वेब सीरीज में यहां माकम किरदार प्रभावित करता है. जो गायतोंडे की मौत के बाद मिशन मुंबई तबाह में लगा हुआ है. कहानी में इन्हें सीरियल साइलेंट किलर के तौर पर दिखाया गया है. मिशन में बैरियर बनने वालों की हत्या करता जाता है. खुद को इजिप्ट की पैदाइश बताने वाला माकम इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक माहदी मालूम होता हैं. जो कयामत से पहले शासन करते हुए बुराई का खात्मा करना चाहता हैं. एक सीन में माकम सरताज से कहता है-‘अल्लाह तुम से तंग आ गया है.’
सेंसर बोर्ड से मुक्त नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म की ‘सेक्रेड गेम्स’ क्राइम, क्रप्शन, क्रीड, कास्ट, पावर, पॉलिटिकल, बदला, तहकीकात से सजी है. जहां-तहां गालियों और सेक्स सीन का भरपूर इस्तेमाल किया गया है. इस सीरीज को तैयार करते हुए दर्शक के एक खास वर्ग का भी ध्यान रखा गया है. वहीं प्राइम अमेजॉन की मिर्जापुर वेब सीरीज में बाहुबली अखंडा त्रिपाठी की भूमिका निभाने वाले पंकज त्रिपाठी को यहां स्प्रिचुअल गुरु के तौर पर दिखाया गया है. उम्मीद है कि अगली वेब सीजन में त्रिवेदी, स्प्रिचुअल गुरु और जोजो के बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार नवाजुद्दीन सिद्दीकी के पिता को भी दिखाया जाएगा.
पूरी सीरीज देखने के बाद आप कहेंगे कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी के नाम पर भाई बेस्ट डायलॉग डिलीवरी एक्टर का अवार्ड होना चाहिए. मंटो के बाद यहां भी बैकग्राउंड में स्टोरी टेलर के तौर पर उनकी अवाज और डायलॉग दर्शक को कहानी से जोड़े रखते हैं. वरना बेहतरीन स्क्रिप्ट होने के बाद बॉलीवुड में कई एक्टर एक्टिंग के साथ-साथ कहानी के फ्लैशबैक इन-आउट में डायलॉग को संतुलन नहीं रख पाते हैं. जबकि सेक्रेड गेम्स में 40-45 साल पहले मुंबई में घटित सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं को अच्छी तरह से अंडरलाइन किया गया है. चाहे वो इमरजेंसी हो, सिख दंगा-1984 हो, शाह बानो केस पर राजीव गांधी का रवैया हो या फिर बाबरी मस्जिद आैर मुंबई दंगा. सभी का सरल, स्पष्ट और गंभीरता से जिक्र किया गया है. स्क्रिप्ट के साथ-साथ नवाजुद्दीन इसके सूत्रधार है.
उधर सरताज वो कड़ी है जिसके जरिए गायतोंडे की कहानी से दर्शक रूबरू होते हैं. गायतोंडे की मौत के बाद तहकीकात में सरताज एक-एक कर उन सब तक पहुंचता है जिनका उससे कनेक्शन रहा है. चाहे वो नायनिका हो या जोया मिर्जा. ज्यादा वक्त गायतोंडे के साथी कट्टर हिंदू बंटी और कुक्कू पर खर्च किया गया है. जबकि शुरू में मृत जोजो की कहानी पर सस्पेंस रखा हैं. ऑफीसर के तौर पर सरताज का खुद पर ऐसा भरोसा दिखाया गया है जैसे की वो एचबीओ चैनल पर आने वाले लूथर टीवी सीरीज के डिटेक्टिव जॉन लूथर हो. जो कहीं भी अनियंत्रित तरीके से चला आता है और सिचुएशन को हैंडल कर लेता है. लेकिन सरताज अपनी इनफॉर्मर नायनिका को बचाने, बंटी को पकड़ने और साथी कॉन्स्टेबल की जान बचाने में नाकाम रहता है. इसे ऐसे समझा जाए कि जिंदगी बदल डालने का जो मौका मिलता है उसके पीछे सरताज के दिवंगत पिता कांस्टेबल दिलबाग सिंह होते हैं. 15 साल तक जेल में रहते हुए गायतोंडे को जब यातनाएं दी जा रही थी तो उस वक्त दिलबाग सिंह ने जेल में उसकी मदद की होती है. वहीं रॉ एजेंट के किरदार में राधिका आप्टे का कोई एक्शन सीन नहीं है. फील्ड में उतरने के बाद भी वो डेस्क वर्क सा काम करते हुए लगती है. स्क्रीन पर ज्यादा वक्त तनाव के एक्शप्रेशन में ही दिखती है.
निर्देशक विक्रमादित्या और अनुराग ने कहानी को नए कलेवर में परोसी है. खासकर गैंगस्टर के रोल में नवाजुद्दीन काे. जो डांसर कुक्कू का दिवाना है. एक ट्रांसजेंडर के प्रति गैंगस्टार का लगाव अब तक की कहानियों में नया है. क्राइम की दुनियां में गैंगस्टर्स के लिए पैसों के सामने धर्म-जाति को डील करना मुश्किल नहीं होता. पर यहां प्रजातंत्र की कीमत 50 लाख देने वाले नेता बिपिन भोंसले गैंगस्टर गायतोंडे की सेकुलर सोच को देखकर तमतमा जाता है. ये देखकर लगता है कि अगर गैंगस्टर लोग सेकुलर बन जाएंगे तो नेताओं की राजनीतिक धंधे का क्या होगा? लेकिन गैंगवार में पत्नी सुभद्रा की मौत पर उसका ‘हिंदू’ जाग जाता है. दुबई तक पहुंच रखने वाले विरोधी गैंगस्टर सुलेमानी इसा की मौजूदगी दिलचस्प है. खूब सारे किरदारों के लिए जाने-जानी वाली वेब सीरीज में यहां माकम किरदार प्रभावित करता है. जो गायतोंडे की मौत के बाद मिशन मुंबई तबाह में लगा हुआ है. कहानी में इन्हें सीरियल साइलेंट किलर के तौर पर दिखाया गया है. मिशन में बैरियर बनने वालों की हत्या करता जाता है. खुद को इजिप्ट की पैदाइश बताने वाला माकम इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक माहदी मालूम होता हैं. जो कयामत से पहले शासन करते हुए बुराई का खात्मा करना चाहता हैं. एक सीन में माकम सरताज से कहता है-‘अल्लाह तुम से तंग आ गया है.’
सेंसर बोर्ड से मुक्त नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म की ‘सेक्रेड गेम्स’ क्राइम, क्रप्शन, क्रीड, कास्ट, पावर, पॉलिटिकल, बदला, तहकीकात से सजी है. जहां-तहां गालियों और सेक्स सीन का भरपूर इस्तेमाल किया गया है. इस सीरीज को तैयार करते हुए दर्शक के एक खास वर्ग का भी ध्यान रखा गया है. वहीं प्राइम अमेजॉन की मिर्जापुर वेब सीरीज में बाहुबली अखंडा त्रिपाठी की भूमिका निभाने वाले पंकज त्रिपाठी को यहां स्प्रिचुअल गुरु के तौर पर दिखाया गया है. उम्मीद है कि अगली वेब सीजन में त्रिवेदी, स्प्रिचुअल गुरु और जोजो के बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार नवाजुद्दीन सिद्दीकी के पिता को भी दिखाया जाएगा.
पूरी सीरीज देखने के बाद आप कहेंगे कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी के नाम पर भाई बेस्ट डायलॉग डिलीवरी एक्टर का अवार्ड होना चाहिए. मंटो के बाद यहां भी बैकग्राउंड में स्टोरी टेलर के तौर पर उनकी अवाज और डायलॉग दर्शक को कहानी से जोड़े रखते हैं. वरना बेहतरीन स्क्रिप्ट होने के बाद बॉलीवुड में कई एक्टर एक्टिंग के साथ-साथ कहानी के फ्लैशबैक इन-आउट में डायलॉग को संतुलन नहीं रख पाते हैं. जबकि सेक्रेड गेम्स में 40-45 साल पहले मुंबई में घटित सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं को अच्छी तरह से अंडरलाइन किया गया है. चाहे वो इमरजेंसी हो, सिख दंगा-1984 हो, शाह बानो केस पर राजीव गांधी का रवैया हो या फिर बाबरी मस्जिद आैर मुंबई दंगा. सभी का सरल, स्पष्ट और गंभीरता से जिक्र किया गया है. स्क्रिप्ट के साथ-साथ नवाजुद्दीन इसके सूत्रधार है.