Monday, 17 September 2018

लव इमोशंस का हाई वोल्टेज है फिल्म मनमर्ज़ियां

बेपरवाही से एक-एक छत टाप जाने की चाहत तो उस लहराती कटी पतंग की डोर को थाम लेने में होती थी. ऐसा ही जुनून मनमर्ज़ियां में विक्की (विक्की कौशल) को देखकर महसूस होता है. वो इश्क में है. रूमी (तापसी पन्नू) से मिलने के लिए विक्की अमृतसर की छत्ते दनादन टापता चला जाता है. शहर में दोनों का रिश्ता और इश्क जगजाहिर है. पर अक्ल में डालने वाली बात तो ये हैं कि समाज-परिवार में लड़के-लड़कियों के ऐसे रिश्तें को कम ही अहमियत दी जाती है या उसे खुले तौर पर स्वीकारा जाता है. जब विक्की के लिए रूमी के घर का रास्ता सीधे दरवाजे से न होकर छत का बनता है तो वो सीन और भी जबर्दस्त हो जाता है. और प्यार की इस बुनावट में दर्शक भी सहज हो जाते हैं.

मनमर्ज़ियां फिल्म को डायरेक्ट अनुराग कश्यप ने किया है. फिल्म लव स्टोरी बेस्ड है. विक्की एक डीजे स्ट्रगलर है. प्रोफेशन के अनुरूप अपने लुक को सेट किया हुआ है. मोहॉक हेयरस्टाइल, हाथ में टैटू, आंखों में काला चश्मा और चलने के लिए ब्लैक ओपन जिप्सी. जितनी तेजी उसकी ऑडियों प्ले की साउंड में हैं उतना ही तेज उसका इश्क रोमांस हैं. पर सब कुछ रूमी के आगे थोड़ा कमजोर पड़ जाता है. रूमी विक्की से एक कदम आगे हैं. बेबाक, बिंदास और आक्रामक है। अपने प्यार को लाइफ पार्टनर बनाने के लिए कमिटिड है. इसके लिए तो वह परिवार के सामने मजबूती से बात रखती है. फिल्म शुरुआत से ही काफी तेज चलती है. थोड़े से वक्त में सारे हालात बता देती है. और ये अच्छा भी है. वरना ज्यादातर फिल्मों में ऐसे सीन इंटरवल के बाद दिखाया जाता है या फिर फिल्म के खत्म होते-होते. तब हम दर्शक भी आगे की स्टोरी जान नहीं पाते. सिवाय इसके कि उनका एक-दूजे का होना. लेकिन डायरेक्टर कश्यप यहां मनमुताबिक कहानी लेकर आए हैं.  रूमी की शादी की बात छिड़ती है तो वो थमती ही नहीं. फिर उसके साइड में स्टोरी चलती है. शादी की बात के लिए रूमी के घर पर आने की. रूमी विक्की से बोलती है कि- “अगर  तू बात करने के लिए घर नहीं आया तो वह किसी भी उल्लू के पट्‌ठे से ब्याह कर लेगी”.  लेकिन विक्की इस जिम्मेदारी से हट जाता है. बहाने बनाता है. कहता है- ‘‘हम प्यार तो करते हैं ही फिर शादी करने की जरूरत क्या है’’. इधर रॉबी (अभिषेक बच्चन) की एंट्री होती है। लंदन से आता है। जो बैंकर है और मां-बाप की जिद पर अरेंज मैरिज के लिए तैयार हो गया है. रॉबी के लिए भी हां बोल देने का ये अर्थ बिल्कुल भी नहीं कि मां की सुझाई किसी नौकरानी, एस्कॉर्ट या फिर नर्स से शादी कर ले. वो अपनी पसंद का लाइफ पार्टनर चाहता है. यहां से फिल्म मनमर्ज़ियां तीनों किरदारों के लिए मन की मर्जी लगती है.

स्क्रीन पर ज्यादा देर तक देखने का मन होता है तो वह रूमी को. वो मुखर है. विक्की की नापसंद हरकत पर उसे थप्पड़े लगाती है, हॉकी से मारती है. गुस्सा होने पर तीखे पानी में गोलगप्पे खाती है. रनिंग करती है. अपने प्यार को एक और मौका देने के लिए विक्की संग घर से भाग जाती है. पर वहीं परिवार की लाज बचाने के रॉबी से शादी कर लेती है. एक ऐसा जीवन जिसका प्रेम खत्म नहीं हुआ और शादी का शुरू हो गया.  स्क्रिप्ट का एक हिस्सा, जहां रूमी विक्की को पिटती है, दुतकारती है, दुकान और घर से बाहर निकलवाती है. और फिर टूटकर उससे प्यार करती है. इसे लेखक डॉ. एस.एल भैरप्पा के नॉवेल ‘छोर’ में भी देखा जा सकता है, जहां अमृता व्यभिचार (एडल्टरी) में रहते हुए सोमशेखर के साथ ऐसा करती है। ऐसा करने के पीछे अमृता की तरफ से नॉवेल में ये अभिव्यक्त किया गया है कि उसके द्वारा सोमशेखर के प्रति समर्पण करने के बाद भी ये अहसास होता है कि सामने वाला उतना समर्पित नहीं है, उस पर अधिकार नहीं जताता है. इससे उपेक्षित होकर वो खीझ बार-बार बाहर आती है.

आखिर रूमी विक्की के उस प्यार में हैं, जहां उसका प्यार बढ़ता ही जा रहा है. छोटी बहन के पूछने पर रूमी कहती है कि ‘‘ ये वो वाला प्यार है जिसमें जितना करो न कम पड़ता है’’.  इसलिए रॉबी से शादी के बाद भी उसे भूला नहीं पा रही। उधर विक्की के साथ भी ऐसा ही होता है. बगैर रूमी को याद किए, उसकी बात किए और उसकी इश्क की गलियों में आए बिना नहीं रह पाता। मर जाने की बात तक कह डालता है. शादी के बाद भी विक्की का रूमी को उसी शिद्दत से चाहने की वजह है कि रूमी अभी भी उसे दिल-दिमाग से नहीं निकाल पाई है. वो जानता है कि रूमी चाहे तो वो दोनों फिर से एक साथ रह सकते हैं. यहां डायरेक्टर कश्यप ने रॉबी को, ‘हम दिल दे चुके सनम’ में अजय देवगन की भूमिका में रखा है, जहां अपनी पत्नी के किसी दूसरे मर्द के साथ प्रेम में बने रहने के बावजूद उसके साथ बना हुआ हुआ. इसे सहन करने की ताकत भी इश्क से ही मिलती है. अभी तक फिल्मों में प्यार की पहचान लड़ाई कर उसे पा लेने की होती थी या फिर खुद की कुर्बानी देकर। हमने ‘दिलवाले’ जैसी कई प्रेम कहानी आधारित फिल्मों में देखा है कि हीरो प्यार के लिए लड़ता है. हमने ‘कल हो न हो’ या ‘आशिकी-2’ जैसी फिल्मों में ये भी देखा है कि प्यार को बचाने और उसकी खुशी के लिए हीरो त्याग व खुद की कुर्बानी तक दे डालता है। दोनों ही स्थितियों को आदर्श के तौर पर अपनाया गया। लेकिन मनमर्ज़ियां में रॉबी को देखकर लगता है इसे सीधा रखने की कोशिश की गई है. कोई झुकाव किसी की तरफ नहीं है. अब देखने वाली बात ये हैं कि क्या इस कैरेक्टर को आदर्श की पहचान मिल पाएगी?





No comments:

Post a Comment

अनवर का अजब किस्सा : ड्रिमी वर्ल्ड का वो हीरो जो मोहब्बत में जिंदगी की हकीकत से रूबरू हुआ

बड़ी ही डिस्टर्बिंग स्टोरी है...एक चर्चा में यही जवाब मिला. डायरेक्टर बुद्धदेव दासगुप्ता की नई फिल्म आई है. अनवर का अजब किस्सा. कहानी-किस्स...